देखा एक रात छाया वो किसी कि , अगले ही दिन आया वो मिलने को मुझसे , चिड़के उछलके वो कहता है मुझसे , करती है लालच तूँ पैसो से मेरे , रातो को चमकती हुई तूँ गालो से खेले , अपनी निखारती हुई तू तूँ जवाबों को दे ले , देखा है तुझको मै शरीफो के पीछे , क्यूँ तू मेरे इरादों से खेले निकलजा तूँ अब, उन बगीचो के पीछे देखी थी तुझको , जिन शरीफों के नीचे ।, ✍️ सोमलता मौर्य